Tamatar Aur Kheera ki kheti: जून में बुवाई से बचें! नमस्ते दोस्तों! आशा करता हू आप सब मस्त होंगे। अक्सर देखा जाता है कि हमारे किसान भाई जून महीने में टमाटर की अगेती बुवाई करते हैं। लेकिन, जून में लगाई गई टमाटर की फसल में अच्छी ग्रोथ नहीं होती और कई बीमारियां भी लग जाती हैं, जैसे अर्ली ब्लाइट, लेट ब्लाइट और बैक्टीरियल ब्लाइट। इसलिए, टमाटर की अच्छी पैदावार और मुनाफे के लिए सितंबर-अक्टूबर महीने में बुवाई करना बेहतर होता है।
[Tamatar Aur Kheera ki kheti] जून में बुवाई से होने वाली परेशानियां:
- धीमी ग्रोथ
● बीमारियों का खतरा ज्यादा
● कम पैदावार
● कम मुनाफा - सितंबर-अक्टूबर में बुवाई के फायदे:
- अच्छी ग्रोथ
● बीमारियों का खतरा कम
● ज्यादा पैदावार
● ज्यादा मुनाफा
इसलिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे Tamatar की बुवाई जून महीने में करने से बचें और सितंबर-अक्टूबर का महीना चुनें। कम खर्चे में भरपूर टमाटर: एक अनोखी तकनीक!
क्या आप अगेती फसल की कम पैदावार और ज्यादा खर्च से परेशान हैं?
चिंता करने की कोई बात नहीं इस आर्टिकल में, मैं आपके साथ एक ऐसी सरल और सिम्पल तकनीक साझा करने जा रहा हूं जिससे आप Tamatar की खेती पर होने वाले खर्च को कम कर सकते हैं, पैदावार बढ़ा सकते हैं और फसल को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं।
यह तकनीक कैसे काम करती है:
1. बीज का चुनाव:
सही बीज का चुनाव आपकी सफलता की कुंजी है। रोग प्रतिरोधी और जलवायु के अनुकूल किस्मों का चयन करें।
2. नर्सरी प्रबंधन:
बीजों को स्वस्थ और मजबूत पौधों में विकसित करने के लिए उचित नर्सरी प्रबंधन करें।
3. खेत की तैयारी:
जमीन को अच्छी तरह से तैयार करें और मिट्टी परीक्षण करवाकर आवश्यक पोषक तत्वों का उपयोग करें।
4. रोपाई:
सही समय पर रोपाई करें और पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें।
5. सिंचाई:
ड्रिप इरिगेशन जैसी जल-कुशल सिंचाई विधियों का उपयोग करें।
6. खरपतवार नियंत्रण:
नियमित रूप से खरपतवारों को हटाएं ताकि पोषक तत्वों और पानी का प्रतिस्पर्धा कम हो सके।
7. पौध संरक्षण:
कीटों और बीमारियों से बचाव के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) रणनीति का उपयोग करें।
Moong Ki Kheti
इस तकनीक के फायदे:
खर्चों में कमी:
- बीज, उर्वरक, कीटनाशक और सिंचाई पर होने वाले खर्च कम हो जाते हैं।
- उत्पादन में वृद्धि:
- स्वस्थ पौधे और कम बीमारियां अधिक फल देते हैं।
- फसल की अवधि में वृद्धि:
- पौधे लंबे समय तक टिके रहते हैं और फल देते हैं।
रोगों में कमी:
- रोग प्रतिरोधी किस्मों और आईपीएम रणनीति से रोगों का खतरा कम होता है।
यह तकनीक निश्चित रूप से आपको कम खर्चे में भरपूर Tamatar उगाने में मदद करेगी।
मल्चिंग के बाद:
- इसमें आपको पौधों को सहारा देने के लिए (स्टेकिंग) का कोई खर्च नहीं लगेगा।
- शुरुआती लागत, जिसमें मजदूरों का खर्च भी शामिल है, लगभग ₹10,000 होगी।
- कटाई से पहले खाद और दवाओं का खर्चा एक छोटी फसल के लिए लगभग ₹5,000 होगा।
कटाई से पहले कुल लागत:
₹10,000 (मजदूर) + ₹5,000 (खाद और दवाएं) = ₹15,000
यह मान लेते हैं कि आप 200 क्विंटल खीरा काटते हैं:
अगर खीरे का भाव ₹50 प्रति किलो मिलता है, तो कुल कमाई ₹10,00,000 होगी।
मुनाफा:
कमाई (₹10,00,000) – लागत (₹15,000) = ₹9,85,000
Tamatar से तुलना: टमाटर लगाने पर आपको फिर से मल्चिंग करनी पड़ेगी।
खीरे में, आपको सिर्फ पौधे लगाने की जरूरत है।
खीरा लगाने के बाद:
आपको पौधों को सहारा देने के लिए (स्टेकिंग) का कोई खर्च नहीं लगेगा।
दोबारा मल्चिंग करने की जरूरत नहीं है।
बाद में आप खीरे के लिए विशेष रूप से बताई गई उर्वरक और दवाओं की ज्यादा मात्रा (हाई पावर डोज) दे सकते हैं। इस बारे में जानकारी के लिए दिए गए लिंक को देखें।
कटाई से पहले कुल लागत:
₹12,000 (पौध) + ₹5,000 (उर्वरक और दवाएं) = ₹17,000
यह मान लेते हैं कि आप 200 क्विंटल खीरा काटते हैं:
अगर खीरे का भाव ₹50 प्रति किलो मिलता है, तो कुल कमाई ₹10,00,000 होगी।
मुनाफा: ₹10,00,000 – ₹17,000 = ₹9,83,000
टमाटर से तुलना: Tamatar लगाने पर आपको फिर से मल्चिंग करनी पड़ेगी।
खीरे में, आपको सीधे खेत में बीज बोने की जरूरत है।
पहले खीरा फिर Tamatar लगाने के फायदे:
- कम लागत
- जल्दी फसल
- लंबा उत्पादन का समय
- कम बीमारी का खतरा
खीरे की किस्मों का चुनाव:
अपने इलाके के मौसम और उगाने की स्थिति को ध्यान में रखें।
कुछ प्रचलित किस्में हैं:
बीनेर्स क्रॉस
पद्मिनी
सैरा
मारिया
खेत में सीधे खीरे के बीज बोना:
- गर्मियों में बोने के लिए यह आम तौर पर अच्छा माना जाता है।
- इससे आप नर्सरी में पौधे तैयार करने की झंझट और लागत से बच सकते हैं।
- सीधे खेत में बोए गए पौधों के बचने और फलने-फूलने की संभावना ज्यादा होती है
टमाटर लगाना: टमाटर लगाने का सबसे अच्छा समय 15 अगस्त के बाद का है।
इससे शुरुआती मौसम की बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।