What Time Did Lander Vikram Touch The Lunar Surface लैंडर विक्रम ने कितने बजे चंद्रमा की सतह को छुआ?

What Time Did Lander Vikram Touch The Lunar Surface :23अगस्त 2019 को, भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया, जब चंद्रयान-2 मिशन का Lander Vikram Lunar Surface पर उतरने का प्रयास करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष यान बना। यह मिशन वैज्ञानिकों और आम जनता के लिए समान रूप से रोमांचक था, क्योंकि यह भारत को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना सकता था। लेकिन दुर्भाग्य से, लैंडिंग के अंतिम चरणों में, विक्रम से संपर्क टूट गया, और उसका Lunar Surface पर क्या हुआ, यह अज्ञात रहा।

यह घटना निराशाजनक थी, लेकिन इसने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को कम नहीं किया। चंद्रयान-2 मिशन ने भारत के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा किया, और इसने देश को भविष्य में चंद्रमा और उससे भी आगे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए प्रेरित किया।

एक ऐतिहासिक क्षण:

What Time Did Lander Vikram Touch The Lunar Surface लैंडर विक्रम ने कितने बजे चंद्रमा की सतह को छुआ?Chandrayan 2

16 सितंबर 2019 को भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। ​​चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम Lander ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने का प्रयास किया

14 सितंबर: चंद्रयान-2 ने चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश किया। 16 सितंबर: सुबह 6:41 बजे: ऑर्बिटर विक्रम लैंडर से अलग हुआ। दोपहर 1:39 बजे: विक्रम ने Lunar Surface से 100 किलोमीटर ऊपर से उतरना शुरू किया। शाम 6:40 बजे: विक्रम Lunar Surface से 2.1 किलोमीटर ऊपर था। रात 8:55 बजे: लैंडिंग प्रक्रिया का सबसे रोमांचक चरण शुरू हुआ – “पावर्ड डिसेंट।” रात 9:02 बजे: विक्रम चंद्रमा की सतह से 350 मीटर ऊपर था। रात 9:04 बजे: लैंडिंग का अंतिम चरण, “सोमवार से शुक्रवार की सुबह”

एक अनफॉर

9:07 PM: विक्रम से संपर्क टूट गया। 17 सितंबर: इसरो ने पुष्टि की कि वे विक्रम से दोबारा संपर्क नहीं कर पाए। 21 सितंबर: चंद्रयान-2 ऑर्बिटर द्वारा भेजी गई तस्वीरों से पता चला कि विक्रम चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

चंद्रयान-2 के Lander Vikram ने 16 सितंबर, 2019 को रात 9:07 बजे (आईएसटी) Lunar Surface को छुआ। इसरो इस मिशन के डेटा का उपयोग भविष्य के चंद्र मिशनों की योजना बनाने के लिए करेगा। चंद्रयान-3 चंद्रमा पर किस समय उतरेगा? When will Chandrayaan-3 land on the Moon?

चंद्रयान-3: रोमांचक क्षण

2023 में भारत ने चंद्रयान-3 मिशन के ज़रिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर उतरने का एक और प्रयास किया। यह मिशन 2023 में चंद्रयान-3 मिशन के ज़रिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर उतरने का एक और प्रयास था।

उड़ान की यात्रा:

  • 14 जुलाई 2023: को चंद्रयान-3 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
  • अगस्त 2023: अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा
  • 22 अगस्त, 2023: सुबह Lander Vikram -2 ऑर्बिटर से अलग हुआ।
  • शाम: लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हुई

ऐतिहास What Time Did Lander Vikram Touch The Lunar Surface

23 अगस्त, 2023: शाम 6:04 बजे (IST): चंद्रयान-3 का Lander Vikram -2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में सफलतापूर्वक उतरा। यह चंद्रमा पर भारत की पहली सॉफ्ट लैंडिंग और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में किसी भी देश की पहली लैंडिंग थी।

मिशन सफलता:

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Chandrayan 3

चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर कई वैज्ञानिक उपकरण स्थापित किए, जैसे कि:

  1. चांद की सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने के लिए एक लैंडर-माउंटेड रोबोट।
  2. चांद की सतह के तापमान और विकिरण को मापने के लिए उपकरण।
  3. चांद के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए उपकरण।

मिशन का लक्ष्य है चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी और अन्य संसाधनों की मौजूदगी के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करना।

चंद्रयान-3: एक प्रेरणादायक उपलब्धि

चंद्रयान-3 मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और तकनीकी कामयाबी है। इस मिशन से भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी देशों में से एक बन गया है।

यह मिशन उन सभी वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियन्स के लिए प्रेरणा का स्रोत है जिन्होंने इसे सफल बनाने के लिए बहुत मेहनत की।

टीप:  

चंद्रयान-3 का Lander Vikram -2 ने 23 अगस्त, 2023 को शाम 6:04 बजे (IST) चांद पर अपनी उतराई की। इस मिशन का उद्देश्य है चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी और अन्य संसाधनों की उपस्थिति का अध्ययन करना। चंद्रयान-3 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और तकनीकी कामयाबी है।

चंद्रयान 2 में विक्रम लैंडर क्या है? What is Vikram Lander in Chandrayaan 2?

चंद्रयान-2 का वीर योद्धा: विक्रम लैंडर

एक बड़ी सोच की उड़ान:सितंबर 2019 में, भारत ने चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुवीय सतह पर उतरने के लिए चंद्रयान-2 मिशन को लॉन्च किया। इस मिशन का मुख्य अंग था विक्रम लैंडर, जिसका उद्देश्य चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और वैज्ञानिक अनुसंधान करना था।

विक्रम की क्षमताएं:

  • सॉफ्ट लैंडिंग: विक्रम को चांद की सतह पर धीरे और सुरक्षित रूप से उतरने के लिए तैयार किया गया था। इसमें कई जटिल तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था, जैसे कि थ्रस्टर्स, रडार और सेंसर, जो इसे धीरे-धीरे गति कम करने और सतह पर सटीक रूप से उतरने में मदद करते थे।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान: विक्रम कई वैज्ञानिक उपकरणों से लैस था जो चांद के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा करने के लिए बनाए गए थे।
  • अल्फा कण X-ray स्पेक्ट्रोमीटर (APXS): यह उपकरण चांद की सतह की रासायनिक संरचना का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
  • लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (LIBS): यह उपकरण चांद की सतह की तत्वीय संरचना का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
  • चंद्र सतह थर्मल इमेजर (ChaSTI): यह उपकरण चांद की सतह के तापमान का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
  • रोवर प्रज्ञान: विक्रम एक छोटे रोवर को भी ले जा रहा था, जो चांद की सतह पर 500 मीटर तक घूमने और वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा करने के लिए तैयार किया गया था।

एक दुखद मोड:

16 सितंबर, 2019 को, विक्रम चांद की सतह से कुछ किलोमीटर की दूरी पर था, जब लैंडिंग के दौरान संपर्क टूट गया। इसरो ने घंटों तक Lander से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन यह सफल नहीं हुआ। बाद में, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर द्वारा भेजे गए चित्रों से पता चला कि विक्रम क्षतिग्रस्त हालत में चांद की सतह पर उतरा था।

टिप्पणी:

विक्रम लैंडर चंद्रयान-2 मिशन का हिस्सा था, जिसे भारत ने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए भेजा गया था। इस लैंडर में वैज्ञानिक उपकरण थे जो चांद के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा करने के लिए डिज़ाइन किए गए थे। विक्रम ने चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने में विफल रहा, लेकिन इसने भारत के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा किया।

भारतीय चन्द्रमा पर कब उतरे? When did Indians land on the moon?

What Time Did Lander Vikram Touch The Lunar Surface लैंडर विक्रम ने कितने बजे चंद्रमा की सतह को छुआ?
Rakesh Sharma

चंद्रयान-2 का वीर योद्धा: विक्रम लैंडर एक बड़ी सोच की उड़ान:

सितंबर 2019 में, भारत ने चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुवीय सतह पर उतरने के लिए चंद्रयान-2 मिशन को लॉन्च किया। इस मिशन का मुख्य अंग था विक्रम लैंडर, जिसका उद्देश्य चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और वैज्ञानिक अनुसंधान करना था।

Lunar Surface पर भारत का पहला सफल लैंडिंग 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से हुआ। इस मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को सफलतापूर्वक उतारा। विक्रम लैंडर के साथ कुछ तकनीकी समस्याएं आईं, लेकिन प्रज्ञान रोवर अभी भी चंद्रमा की सतह का अध्ययन कर रहा है और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा भेज रहा है। भारत चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बन गया, अमेरिका, रूस और चीन के बाद। भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला पहला देश होने का भी गर्व हासिल किया।

भारत के चंद्रमा मिशनों का महत्व:

  • वैज्ञानिक खोज: भारत के चंद्रमा मिशनों ने हमारी समझ में Lunar Surface और उसकी संरचना के बारे में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन मिशनों ने सत्यापित किया है कि चंद्रमा पर पानी की बर्फ मौजूद है, जो आगामी मानव अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है।
  • तकनीकी प्रगति: भारत के चंद्रमा मिशनों ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की क्षमताओं को दिखाया है। इन मिशनों ने भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में सहायता की है।
  • राष्ट्रीय गौरव: भारत के चंद्रमा मिशन देश के लिए एक गर्व का स्रोत है। इन मिशनों ने भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को पूरी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया है।

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भारत के भविष्य के चंद्रमा मिशन:

  • चंद्रयान-4: यह मिशन 2025 में लॉन्च होने वाला है और इसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित एक क्रेटर का अध्ययन करना है।
  • चंद्रयान-5: यह मिशन 2028 में लॉन्च होने वाला है और इसका लक्ष्य चंद्रमा से चट्टानों और मिट्टी के नमूने लेकर वापस लाना है।
  • मानवयुक्त चंद्रमा मिशन: भारत अपने 2030 के दशक में मानवयुक्त चंद्रमा मिशन भेजने की योजना बना रहा है। यह एक बड़ा मिशन होगा जो भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के नए दौर में ले जाएगा।

लूना-25, चंद्रयान-3 से अधिक तेज़ क्यों है? Why is Luna-25 faster than Chandrayaan-3?

लूना-25 और चंद्रयान-3 मिशन, दोनों ही 2023 में Lunar Surface पर उतरने के लिए लॉन्च किए गए थे। लेकिन लूना-25 को चंद्रयान-3 से अधिक तेज़ी से लॉन्च किया गया था। लूना-25 का लॉन्च 11 अगस्त 2023 को हुआ था, जबकि चंद्रयान-3 का लॉन्च 9 सितंबर 2023 को हुआ था।

हालांकि दोनों मिशन चंद्रमा पर पहुंचे, लेकिन लूना-25 चंद्रयान-3 से काफी तेज़ था। लूना-25 ने सिर्फ 6 दिनों में चंद्रमा की परिक्रमा शुरू कर दी, जबकि चंद्रयान-3 को ऐसा करने में 18 दिन लग गए।

इस गति अंतर के पीछे कई कारण हैं:

  • रॉकेट: लूना-25 को प्रोटॉन-एम रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था, जो अंतरिक्ष यान को उच्च गति प्रदान कर सकता है। यह रॉकेट एक शक्तिशाली रॉकेट है जो तेजी से चंद्रमा तक पहुंचने में मदद करता है। वहीं, चंद्रयान-3 को PSLV रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था, जो एक कम शक्तिशाली रॉकेट होता है और इसलिए चंद्रमा तक पहुंचने में थोड़ा ज्यादा समय लेता है।
  • ट्रैजेक्टरी: लूना-25 ने चंद्रमा की ओर जाने के लिए एक सीधी “बैलिस्टिक ट्रैजेक्टरी” का उपयोग किया। इसमें अंतरिक्ष यान को सीधे लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए केवल इंजन का उपयोग होता है।
  • चंद्रयान-3 ने एक अधिक जटिल: “लूनर स्विंग-बाय” ट्रैजेक्टरी का उपयोग किया। इसमें पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को गति प्रदान की गई, जिससे चंद्रमा की ओर पहुंचने में कम समय लगा।
  • पेलोड: लूना-25 में चंद्रयान-3 की तुलना में एक हल्का पेलोड था। इसका मतलब है कि लूना-25 को कम गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से निपटना पड़ा, जिससे उसे तेज़ी से गति मिली।

इन सभी कारकों ने मिलकर लूना-25 को चंद्रयान-3 से अधिक तेज़ बना दिया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गति अंतरिक्ष मिशन की सफलता का एकमात्र मापदंड नहीं है। चंद्रयान-3 में लूना-25 की तुलना में अधिक वैज्ञानिक उपकरण थे, और इसने Lunar Surface का अधिक विस्तृत अध्ययन किया।

दोनों मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण सफलताएं थीं और उन्होंने चंद्रमा के बारे में हमारी समझ में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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