Bhujangasana is Derived From: क्या आपने कभी ऐसा योगासन किया है, जिससे आप मजबूत और लचीला महसूस करते हैं, मानो जमीन से उठता हुआ कोबरा? अगर हाँ, तो आप शायद भुजंगासन से परिचित होंगे, जिसे कोबरा पोज भी कहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस योगासन का इतना दिलचस्प नाम कहाँ से आया है?
इसका जवाब संस्कृत भाषा में छिपा है, जो कई योग शब्दों का मूल है। Bhujangasana का नाम दो संस्कृत शब्दों, ‘भुजंग’ और ‘आसन’, का एक सुंदर संयोजन है:
- भुजंग (Bhujanga): यह शब्द “सांप” या “कोबरा” का अर्थ है।
- आसन (Asana): इसका सीधा अर्थ होता है “बैठने की स्थिति” या “आसन”।”
इसलिए, जब इन दोनों शब्दों को जोड़ा जाता है, तो Bhujangasana का शाब्दिक अर्थ “कोबरा की मुद्रा” होता है। यह नाम इस आसन में शरीर की स्थिति को पूरी तरह से दर्शाता है, जहां ऊपरी शरीर चटाई से उठता है, जो कोबरा के उठे हुए हुड की नकल करता है।
आइए देखें कि कोबरा की छवि इतनी उपयुक्त क्यों है:
उठा हुआ ऊपरी शरीर (Uthaa Hua Upli Shareer): Bhujangasana में ऊपरी शरीर को ऊपर की ओर उठाया जाता है, जिससे शरीर की पीठ की कोमलता का वक्र बनता है, बिल्कुल कोबरा की तरह।
सहारा प्राप्त आधार (Sahara Prapt Aadhar): इसमें निचला शरीर जमीन से जुड़ा रहता है, जिससे शरीर को कोबरा के शक्तिशाली कुंडल की तरह स्थिरता मिलती है।
केंद्रित दृष्टि (Kendrit Drishti): कुछ विशेषताओं में, सिर को थोड़ा ऊपर उठाया जाता है, जैसे कोबरा अपने परिवेश का निरीक्षण करती है।
आसन और कोबरा के बीच का यह संबंध सिर्फ शारीरिक समानता से अधिक है। कई संस्कृतियों में, कोबरा शक्ति, परिवर्तन और पुनर्जन्म का प्रतीक है। भुजंगासन का अभ्यास करके, हम इन प्रतीकात्मक गुणों का लाभ उठा सकते हैं, सशक्त और ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं, और खुद को सीमित करने वाली किसी भी बाधा को दूर करने के लिए तैयार हो सकते हैं।
तो, अगली बार जब आप Bhujangasana करते हैं, तो नाम के पीछे की कहानी याद रखें। आप केवल अपनी रीढ़ को खींचकर मजबूत नहीं कर रहे हैं; आप कोबरा की शक्ति और लचीलेपन का प्रतीक बन रहे हैं, जो किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।
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भुजंगासन: रहस्य और विज्ञान का संगम
Bhujangasana, जिसे सर्पासन या कोबरा पोज के नाम से भी जाना जाता है, योगासनों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह आसन न केवल शारीरिक रूप से लाभकारी है, बल्कि इसके पीछे की कहानी भी रहस्य और विज्ञान का मनोरंजक संगम प्रस्तुत करती है।
नाम का रहस्य:
भुजंगासन का नाम संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है: “भुजंग”, जिसका अर्थ होता है “सांप” और “आसन”, जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”। इस आसन को करते समय शरीर की मुद्रा सांप के समान होती है, जहां ऊपरी शरीर जमीन से ऊँचा उठता है और सिर हल्के से ऊपर की ओर होता है।
पौराणिक कथा:
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव को सर्पों का देवता माना जाता है। भुजंगासन को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, जो शक्ति और लचीलेपन का प्रतीक है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: Bhujangasana is Derived From
आधुनिक विज्ञान के अनुसार, Bhujangasana रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाने में मदद करता है। यह आसन छाती, पेट और कंधों की मांसपेशियों को भी खींचता है, जिससे पाचन और श्वसन क्रिया में सुधार होता है।
भुजंगासन के लाभ:
- रीढ़ को मजबूत और लचीला बनाता है: यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाने में मदद करता है।
- शरीर की मांसपेशियों को खींचता है: यह आसन छाती, पेट और कंधों की मांसपेशियों को भी खींचता है।
- पाचन और श्वसन क्रिया में सुधार करता है: इसे करने से पाचन और श्वसन क्रिया में सुधार होता है।
- तनाव और चिंता को कम करता है: यह आसन तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
- रक्त संचार को बढ़ाता है: इसे करने से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है।
- थकावट को दूर करता है: यह आसन थकावट को दूर करने में मदद करता है।
- आत्मविश्वास को बढ़ाता है: इसे नियमित रूप से करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
भुजंगासन करने की विधि:
- शुरुआत में पेट के बल लेट जाएं।
- माथे, हाथों और पैरों की उंगलियाँ जमीन पर रखें।
- धीरे-धीरे अपनी छाती और पेट को ऊपर की ओर उठाएं, जितना आरामदायक लगे।
- इस स्थिति में कुछ देर ठहरें और गहरी सांस लें।
- धीरे-धीरे नीचे आ जाएं और आराम करें।
सावधानियां:
- अगर आपको पीठ या गर्दन में दर्द है या कंधे में चोट है, तो इस आसन को न करें।
- यदि आपको उच्च रक्तचाप है, तो सिर को ऊपर उठाने से बचें।
- गर्भवती महिलाओं को इस आसन को डॉक्टर की सलाह पर आधारित करना चाहिए।
Bhujangasana एक सरल और प्रभावशाली योगासन है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद होता है। अगर आप नियमित रूप से इसे करते हैं, तो आप इसके अद्वितीय लाभों को आसानी से महसूस करेंगे।
निष्कर्ष:
Bhujangasana, जिसे सर्प मुद्रा भी कहा जाता है, योग का एक प्रसिद्ध आसन है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, पाचन को सुधारता है, और तनाव को कम करता है। इस आसन का नाम संस्कृत शब्दों भुजंग (सर्प) और आसन (मुद्रा) से मिलकर बना है। इसे करते समय शरीर की मुद्रा सर्प के समान होती है।
भुजंगासन करने के लिए, पेट के बल लेट जाएं और हाथ कंधों के नीचे रखें। श्वास लेते हुए, छाती को ऊपर उठाएं और सिर, गर्दन और रीढ़ को ऊपर की ओर खींचें। इस मुद्रा में कुछ देर रहें और फिर श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे नीचे आ जाएं। यह आसन सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है, खासकर उन लोगों के लिए जो पीठ या कमर दर्द से पीड़ित हैं।